Tuesday, September 28, 2010

naraazgi

हमने उनकी नाराज़गी के वक़्त इतना तवील रखा की उन्होंने हम्हारे बगैर ही जीना सीख लिया!

पलकें भी जरा संभाल के झपकाना क्यूँ की झपकने से अक्सर सपने बदल जाते हैं!

 

 

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